खर्चों की आदतें बदलकर बजट और बचत बढ़ाएं
साधारण आदतों में बदलाव और स्मार्ट बजट तकनीकों से मासिक खर्च घटाएं और बचत बढ़ाएं

छोटे खर्चों पर गौर करें
रोज़मर्रा की चाय, जनरल स्टोर की छोटी-छोटी खरीदारी और फोन के ऐप सब्सक्रिप्शन से मासिक खर्च बढ़ते हैं। इन्हें नजरअंदाज करना आसान है पर जोड़ें तो बड़ी रकम बन जाती है।
पहला कदम सरल होना चाहिए, चेक करें कि किस चीज पर कितना खर्च होता है और कौन सी आदतें तुरंत बदली जा सकती हैं। टिकट, रिचार्ज और मीठा-नाश्ता जैसे छोटे खर्चों को कंट्रोल करके तुरंत बचत महसूस होगी।
स्मार्ट बजट तकनीक अपनाएँ
बजट बनाने का क्लासिक तरीका 50/30/20 नियम आज भी काम का है। 50% जरूरी खर्च, 30% इच्छाएँ और 20% बचत या कर्ज चुकाना रखें। भारत में EMI और बचत लक्ष्यों के हिसाब से यह फॉर्मूला आसानी से एडजस्ट हो जाता है।
सादा ऐप या नोटबुक से हर महीने की इनकम और खर्च लिखें। UPI और नेट बैंकिंग के ऑटो-ड्राफ्ट को समझें ताकि बिल समय पर जमा हों और अतिरिक्त फीस से बचें। बचत को प्राथमिकता देने से वित्तीय तनाव कम होगा।
खरीदारी की आदतें बदलें
किराने का सामान सप्ताह में एक बार लिस्ट बनाकर लें और ज़रूरी चीजें थोक में खरीदें। लोकल मंडी और थोक बाजार से खरीदना अक्सर सस्ता पड़ता है और ताजगी भी मिलती है। ऑनलाइन डिस्काउंट का लुभावना होना स्वाभाविक है पर ध्यान रखें कि हर ऑफर बचत नहीं होता।
इम्पल्स बाइ से बचने के लिए 24 घंटे की रूल अपनाएँ और कूपन, कैशबैक और वारंटी जैसी चीजों को जोड़कर तुलना करें। महंगे गैजेट पर विचार करते समय रिसर्च और रिव्यू पढ़ना जरूरी है।
बचत को नियमित और सरल बनाइए
ऑटोमैटिक ट्रांसफर से हर महीने सैलरी आते ही एक छोटी राशि अलग कर दें। अलग खाते में इमरजेंसी फंड रखें ताकि अचानक खर्च पर क्रेडिट कार्ड या लोन न लेना पड़े। छोटे SIP से लंबी अवधि में बड़ा corpus बनता है।
बेकार चीजें बेचकर या अतिरिक्त सब्सक्रिप्शन बंद कर बचत बढ़ाइए। लक्ष्य सेट करें, जैसे 6 महीने का फंड या घर की छोटी मरम्मत के लिए अलग राशि। आज ही एक छोटा कदम लें और अगले महीने अपने खर्च का फर्क देखें।